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शनिवार, अगस्त 13, 2022

सूर्यनारायण व्यास,फिरोज गांधी,दोहा नवगीत

इतिहास

धोया गया संसद भवन




मुहूर्त निकाल तय किया था आजादी का दिन|
हमारे संविधान के निर्माण में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा। डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता कहलाने का गौरव प्राप्त है। वे संविधान बनाने वाली प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे जिसमें कुल 7 सदस्य थे। भारत के संविधान के बारे में आपने यह जानकारियां पहले भी पढ़ी होंगी, लेकिन यहां हम आपसे एक ऐसी रोचक जानकारी साझा कर रहे हैं, जिसके बारे में आपको शायद ही मालूम होगा।
देश में गणतंत्र स्थिर रहे इसलिए उज्जैन के ज्योतिष सूर्यनारायण व्यास ने पंचांग देखकर आजादी का मुहूर्त निकाला था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर उन्होंने बताया कि अगर आजादी 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि 12 बजे ली गई तो हमारा गणतंत्र अमर रहेगा।
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद.
पंडित सूर्यनारायण व्यास.
कहा था 1990 के बाद देश करेगा तरक्की
आजादी के समय उन्होंने संकेत दे दिए थे कि 1990 के बाद से देश की तरक्की होगी और 2020 तक भारत विश्व का सिरमौर बन जाएगा। इसके बाद से चाहे शनि की दशा में देश को आजादी मिली, देश के टुकड़े हो गए, केतु की महादशा में देश भुखमरी और तंगहाली से गुजरा। मगर 1990 में शुक्र की महादशा शुरू होने के बाद देश की तरक्की भी शुरू हो गई।
1947 में जब यह तय हो गया कि अंग्रेज भारत छोडऩे के लिए तैयार हैं, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गोस्वामी गणेशदत्त महाराज के माध्यम से उज्जैन के पंडित सूर्यनारायण व्यास को बुलावा भेजा। पंडित व्यास ने पंचांग देखकर बताया कि आजादी के लिए सिर्फ दो ही दिन शुभ हैं। 14 और 15 अगस्त। इसमें एक दिन पाकिस्तान को आजाद घोषित किया जा सकता है और एक दिन भारत को। उन्होंने डॉ. प्रसाद को भारत की आजादी के लिए मध्यरात्रि 12 बजे यानी स्थिर लग्न नक्षत्र का समय सुझाया। ताकि देश में लोकतंत्र स्थिर रहे। इतना ही नहीं पंडित व्यास के कहने पर आजादी के बाद देर रात संसद को धोया भी गया था। क्योंकि ब्रिटिश शासकों के बाद अब यहां भारतीय बैठने वाले थे। धोने के बाद उनके बताए मुहूर्त पर गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि करवाई थी।
इनके कहने पर धोया गया संसद भवन, मुहूर्त निकाल तय किया था आजादी का दिन
व्यास जी के जीवन पर लिखी पुस्तक का मुखपृष्ठ.
पंडित जी के जीवन पर किताब
पंडित सूर्यनारायण व्यास के पुत्र राजशेखर ने उनके जीवन और उनकी भविष्यवाणियों पर एक किताब लिखी है। 'याद आते हैं शीर्षक वाली इस किताब के 34 वें 'अध्याय ज्योतिष जगत के सूर्य (पृष्ठ क्रमांक 197 और 198) में आजादी के दिन के मुहूर्त का उल्लेख किया गया है। राजशेखर ने इस अध्याय में अपने पिता की अन्य भविष्यवाणियों का भी जिक्र किया है। सांदीपनी ऋषि के वंशज महान ज्योतिषाचार्य, लेखक, पत्रकार, पंडित सूर्यनारायण व्यास थे। उनका जन्म 2 मार्च 1902 को हुआ था।
भविष्यवाणियां जो सच निकली लालबहादुर शास्त्री के ताशकंद जाने से पहले सूर्यनारायण ब्यास ने एक लेख में इस बात का उल्लेख कर दिया था कि वे जीवित नहीं लौटेंगे। उन तक यह खबर पहुंची भी लेकिन उन्होंने इसे हंसकर टाल दिया। बाद में भविष्यवाणी सच साबित हुई। 7 दिसंबर 1950 को एक अखबार में उन्होंने लिखा कि उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्वास्थ्य अत्यंत चिंताजनक हो सकता है। 17 दिसंबर तक उनके लिए कठिन समय रहेगा। आखिर 16 दिसंबर की अर्ध रात्रि को सरदार पटेल दिवंगत हो गए। इससे पहले 1932 में उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में भूकंप पर एक लेख लिखा था। फिर एक पत्र लिखकर आने वाले 300 भूकंपों की सूची प्रकाशित करवा दी। समय के साथ-साथ ये भी सही साबित होती जा रही है। यह पत्र और अखबार सुरक्षित हैं। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद और महात्मा गांधी के बारे में भी कई सटीक भविष्यवाणियां काफी पहले ही कर दी थीं।
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भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़े होते थे फिरोज गांधी
स्रोतः प्रभासाक्षी परिवार से जुड़े होने के बावजूद अपनी अलग पहचान रखने के कायल फिरोज गांधी को एक ऐसे नेता और सांसद के रूप में याद किया जाता है जो हमेशा स्वच्छ सामाजिक जीवन के पैरोकार रहे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे। फिरोज के समकालीन लोगों का कहना है कि वह भले ही संसद में कम बोलते रहे लेकिन वे बहुत अच्छे वक्ता थे और जब भी किसी विषय पर बोलते थे तो पूरा सदन उनको ध्यान से सुनता था। उन्होंने कई कंपनियों के राष्ट्रीयकरण का भी अभियान चलाया था।
फिरोज गांधी अपने दौर के एक कुशल सांसद के रूप में जाने जाते थे। फिरोज इलाहाबाद के रहने वाले थे और आज भी लोग उनकी पुण्यतिथि के दिन उनकी मजार पर जुटते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। दिल्ली में मृत्यु के बाद फिरोज गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद लाया गया था और पारसी धर्म के रिवाजों के अनुसार वहां उनकी मजार बनाई गई।
फिरोज गांधी अच्छे खानपान के बेहद शौकीन थे। इलाहाबाद में फिरोज को जब भी फुर्सत मिलती थी वह लोकनाथ की गली में जाकर कचौड़ी तथा अन्य लजीज व्यंजन खाना पसंद करते थे। इसके अलावा हर आदमी से खुले दिल से मिलते थे। फिरोज गांधी का जन्म 12 अगस्त 1912 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था। बाद में वह इलाहाबाद आ गए और उन्होंने एंग्लो वर्नाकुलर हाई स्कूल और इवनिंग क्रिश्चियन कालेज से पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही उनकी जान पहचान नेहरू परिवार से हुई। शिक्षा के लिए फिरोज बाद में लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स चले गये।
इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान फिरोज और इंदिरा गांधी के बीच घनिष्ठता बढ़ी। इसी दौरान कमला नेहरू के बीमार पड़ने पर वह स्विट्जरलैंड चले गये। कमला नेहरू के आखिरी दिनों तक वह इंदिरा के साथ वहीं रहे। फिरोज बाद में पढ़ाई छोड़कर वापस आ गए और मार्च 1942 में उन्होंने इंदिरा गांधी से हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार विवाह कर लिया। विवाह के मात्र छह महीने बाद भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दंपत्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। फिरोज को इलाहाबाद के नैनी जेल में एक साल कारावास में बिताना पड़ा। आजादी के बाद फिरोज नेशनल हेरल्ड समाचार पत्र के प्रबंध निदेशक बन गये। पहले लोकसभा चुनाव में वह रायबरेली से जीते। उन्होंने दूसरा लोकसभा चुनाव भी इसी संसदीय क्षेत्र से जीता। संसद में उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई मामले उठाये जिनमें मूंदड़ा मामला प्रमुख था। फिरोज गांधी का निधन 8 सितंबर 1960 को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से हुआ।
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दोहा सलिला
मित्र
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निधि जीवन की मित्रता, करे सुखी-संपन्न
मित्र न जिसको मिल सके, उस सा कौन विपन्न.
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सबसे अधिक गरीब वह, मिला न जिसको मित्र
गुल गुलाब जिससे नहीं, बन सकता हो इत्र
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बिना स्वार्थ संबंध है, मन से मन का मित्र
मित्र न हो तो ज़िंदगी, बिना रंग का चित्र
१३-८-२०२०
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नवगीत:
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हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
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जंगल में
जनतंत्र आ गया
पशु खुश हैं
मन-मंत्र भा गया
गुराएँ-चीखें-रम्भाएँ
काँव-काँव का
यंत्र भा गया
कपटी गीदड़
पूजता बाबा
हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
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शतुरमुर्ग-गर्दभ
हैं प्रतिनिधि
स्वार्थ साधते
गेंडे हर विधि
शूकर संविधान
परिषद में
गिद्ध रखें
परदेश में निधि
पापी जाते
काशी-काबा
हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
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मानुष कैट-वाक्
करते हैं
भौंक-झपट
लड़ते-भिड़ते हैं
खुद कानून
बनाकर-तोड़ें
कुचल निबल
मातम करते हैं
मिटी रसोई
बसते ढाबा
हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
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एक दोहा
बाप, बाप के है सलिल, बच्चे कम मत मान
वे तुझसे आगे बहुत, खुद पर कर न गुमान
१३-८-२०१५

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